बच्चों में श्रेष्ठ संस्कार भरना शिक्षा शास्त्रियों का अहम दायित्व ब्रह्माकुमारी संगठन में शिक्षा सेवा प्रभाग सम्मेलन आरंभ
माउंट आबू, १८ मई। दिल्ली एमएचआरडी, इनोवेशन सेल, एआईसीटीई निदेशक मोहित गंभीर ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के दौर में बच्चों में अनुशासनप्रियता, देशभक्ति की भावना, सामाजिक पुनर्निर्माण के कार्यों में रूचि पैदा करने का चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा करने को शिक्षा शास्त्रियों का अहम दायित्व है। नैतिक मूल्यों से संपन्न शिक्षक ही शिक्षा के माध्यम से चरित्र की गरीबी को दूर कर सकते हैं। शिक्षक विद्यार्थी में व्याप्त अज्ञानता को दूर करके संस्कारों को श्रेष्ठ बनाने का पुण्य कार्य करता है। वे शनिवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में शिक्षा प्रभाग की ओर से चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने को मूल्य व अध्यात्म का योगदान विषय पर आयोजित सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बच्चों की रचनात्मक शक्ति में वृद्धि करना शिक्षकों की अहम जिम्मेवारी है। कत्र्तव्यपरायणता व पूरी निष्ठा से मेहनत करने वाले शिक्षक ही पूरी संवेदना के साथ बच्चों की प्रतिभाओं को तराशने में कामयाब होते हैं। बच्चों को संस्कारवान बनाने व श्रेष्ठ कर्मों के लिए प्रेरित करना समय की मांग है। अनावश्यक विचार मन को थका देते हैं इसलिए समर्थ व सकारात्मक चिन्तन की आदत डालनी चाहिए।
तमिल विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. गणपति भास्करन ने कहा कि अध्यात्म व विज्ञान के बीच उचित समन्वय होना चाहिए। पदार्थों का ज्ञान अध्यात्म ज्ञान के समक्ष गौण है। अध्यात्म आत्मा व परमात्मा से जोडऩे का सेतू है जो जीवन में सच्चे सुख व आनंद की अनुभूति कराता है।
अहमदाबाद गुजरात युनिवर्सिटी के कुलपति हिमांशु पण्डया ने कहा कि शिक्षा मनुष्य को न केवल ज्ञानवान बनाती है बल्कि अंतरमन की सामाजिक जिम्मेवारियों को निभाने के लिए प्रेरित भी करती है। अशिक्षित मन में बोझिल विचार पैदा होते हैं। स्वयं को जानने व जीवन के सही उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मेडिटेशन का अभ्यास आवश्यक है।
शिक्षा प्रभाग अध्यक्ष बीके मृत्युजंय ने कहा कि आत्मिक शक्ति सर्वश्रेष्ठ है। नियमित राजयोग के अभ्यास से आत्मिक शक्ति जागृत होती है। वर्तमान नकारात्मक प्रभावों से बचाव को मानसिक शुद्धि की जरूरत होती है। जो राजयोग से ही संभव है।
प्रभाग उपाध्यक्ष बीके शीलू ने सम्मेलन सहभागियों को राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास से गहन शांति की अनुभूति कराई। ब्रह्माकुमारीज दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम निदेशक बीके डॉ. पण्डयामणि, मुख्यालय संयोजक डॉ. आर.पी. गुप्ता, डॉ. वेद गुलानी, मध्य प्रदेश क्षेत्रीय संयोजक बीके किरण ने भी विचार व्यक्त किए।